महज एक लीटर पानी से उग सकता है पेड़ पद्मश्री किसान सुंडाराम ने इजाद की खेती की नई तकनीक

खेती की नई तकनीक को लेकर विशेष ग्रामसभा का आयोजन राज्य के मरुस्थलीय इलाकों को हरा भरा करने का नायाब तरीका बताया प्रगतिशील किसान ने

महज एक लीटर पानी से उग सकता है पेड़  पद्मश्री किसान सुंडाराम ने इजाद की खेती की नई तकनीक
महज एक लीटर पानी से उग सकता है पेड़ पद्मश्री किसान सुंडाराम ने इजाद की खेती की नई तकनीक

जयपुर। सीकर जिले के एक प्रगतिशील किसान सुंडाराम वर्मा ने विशेष ग्रामसभा में किसानों को महज एक लीटर पानी से पेड़ उगाने की तकनीक की जानकारी दी। सूंडाराम ने कुछ साल पहले एक ऐसी तकनीक विकसित की, जिसमें किसी पेड़ को उगाने के लिए केवल एक लीटर पानी देना होगा। यह उस पेड़ के पूरे जीवन के लिए काफी होगा। इस तकनीक से समय, मेहनत और पानी तीनों की बचत होती है।
 सीकर जिले के दांतारामगढ़ गांव निवासी किसान सुंडाराम वर्मा देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में से एक ‘पद्मश्री अवार्ड’ से नवाजे जा चुके हैं। 
 उन्होंने बताया कि जयपुर के आसपास में सालाना 60 सेमी बारिश होती है। बारिश का पानी जमीन सोख लेता है, धूप, भूमिगत रिसाव और अन्य कारणों से बारिश के पानी को नुकसान पहुंचता है. इसे ही बचाना होता है।
उन्होंने बताया कि यदि हम पौधे को जमीन की ऊपरी सतह से 30 सेमी या उससे गहरा लगाएं तो केवल खरपतवार और केशिका नली से ही भूमिगत जल बाहर आ सकते हैं। इन दोनों कारणों को हटा दें तो जमीन का पानी सुरक्षित रह जाता है और पौधे को उगने और बढ़ने के लिए पानी मिलता रहता है।

पेड़ लगाने से पहले की तैयारी


जहां पौधे लगाने हों, वहां मानसून की पहली बारिश के एक हफ्ते के अंदर 20-25 सेमी गहराई तक इस तरह जुताई करनी है कि सारे खरपतवार नष्ट हो जाएं। जमीन के ऊपरी सतह की कैपिलरीज टूट जाए, ऐसा करने से मानसून में बारिश का पानी जमीन सोख लेता है। 
मानसून समाप्ति की ओर हो यानी अगस्त के अंत या सितंबर की शुरुआत में एक बार फिर ऐसी ही गहरी जुताई की जाती है, इससे 20-25 सेमी गहराई तक जमीन की ऊपरी परत कैपिलरीज टूट जाती है, लेकिन 20-25 सेमी के नीचे की कैपिलरीज चालू रहती है. इस कारण बाहर आने वाला जल वहीं रुक जाता है।

पेड़ लगाने की बारी

सुंडाराम वर्मा बताते हैं कि दूसरी जुताई के बाद पौधे लगाने वाली जगह चिह्नित कर लें। पौधे को बीच में रख कर पानी से भिंगा दें। अब 15″15″45″ सेमी का गहरा गड्ढा खोदकर पौधा लगा दें अब एक लीटर पानी में एक एमएल कीटनाशक मिलाकर पौधे की सिंचाई करें,  अब 7-8 दिन बाद खुरपी से हल्की गुड़ाई कर दें और आगे का काम प्रकृति पर छोड़ दें.
वे बताते हैं कि पहले वर्ष 3 बार 15 सेमी गहरी निराई-गुड़ाई करनी चाहिए. फिर दूसरे साल 2 बार और फिर उसके बाद जरूरत ही नहीं रह जाती. इसके साथ दलहन और अन्य फसल भी लगाई जा सकती है।
किसान सुंडाराम बताते हैं कि राजस्थान के मरुस्थलीय इलाकों में पेड़ के लिए तो दूर, आदमी को पीने का पानी बड़ी मुश्किल से मिलता है। ऐसे में यह विधि केवल इन्हीं इलाकों में नहीं, बल्कि कम वर्षा वाले क्षेत्रों के लिए वरदान साबित होती है. पेड़ बढ़ेंगे तो आने वाले वर्षों में बारिश भी अच्छी होगी।


 पद्मश्री प्रगतिशील किसान सुंडाराम वर्मा

राजस्थान के किसान सुंडाराम वर्मा ने एक लीटर में खेती करने की तकनीक इजाद की है. इसे ड्राई फार्मिंग नाम दिया गया है. एक लीटर पानी की सिंचाई से आज सुंडाराम वर्मा ने राजस्थान के अर्ध मरुस्थली इलाकों में हजारों पेड़ लगाए हैं. सुंडाराम वर्मा की एक लीटर पानी में खेती की इस तकनीक से समय, मेहनत, पानी और पैसा सब कुछ बचा सकते हैं।


 फार्मर फ़ोरम

फार्मर फोरम कृषि स्नातक एवं कृषि शिक्षा से जुड़े हुए बौद्धिक व्यक्तियों का समूह है जो कृषि किसान के विकास तथा समृद्धि के लिए कार्य कर रहे हैं। इसमें कृषि शिक्षा से जुडे हुये विद्यार्थी, शोधार्थी, वैज्ञानिक एवं सेवानिवृत्त व्यक्ति शामिल है जो भारत और विदेशों में अपने अनुभव एवं क्षमताओं के अनुसार कृषि एवं इससे जुड़े क्षेत्रों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
 फार्मर फ़ोरम एक मोटो "सशक्त युवा, समृद्ध किसान और खुशहाल गांव" पर कार्य कर रहा है। फार्मर फोरम किसानों को जागरूकता के लिए किसान चौपालों का आयोजन करता है।
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